भानगढ़ का किला और उससे जुड़ी डरावनी कहानी

 

पंकज शर्मा द्वारा

भानगढ़, शायद ही कोई ऐसा हो जिसने ये नाम न सुना हो ।

भानगढ़ जो की राजस्थान के अलवर जिले में पड़ता है और अपने रहस्यों और भूतिया खंडर के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है । आज मैं आपको भानगढ़ से जुड़ा एक सच्चा आप बीता किस्सा सुनता हूं । 

वैसे तो मैं इन सब बातों पर ज्यादा यकीन नही करता , पर जो मेरे दोस्तों के साथ हुआ और जो उन्होंने मुझे बताया वो मैं आज आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूं।

बात है आज से लगभग 24 – 25 साल पुरानी जब हम स्कूल से निकल कॉलेज में आ चुके थे। जिस कारण कुछ नए दोस्त भी बन गए । तो उन्ही मे से थे मेरे दो नए दोस्त अशोक और राहुल ।

जिनसे मेरी कॉलेज के 1st ईयर में जान पहचान और दोस्ती हुई थी ।

अब पहले ये बता दें की भानगढ़ का हम सब से क्या मतलब । तो हम सब अलवर ज़िले के रहने वाले थे इसलिए भानगढ़ हमारे लिए न तो कोई नया था और न कोई अजूबा ।

बस वो हमारे लिए एक जगह थी जो हमारे शहर से लगभग 80 km दूर थी ।

उस वक्त 1999 – 2000 तक इंटरनेट की सिर्फ शुरुआत हुई थी यूट्यूब और फेसबुक ने अपना आतंक नही फैलाया था और न रील और शॉर्ट के कारण कोई जगह या स्थान चर्चा में आता था ।

तो शुरू करते है आज से लगभग 24 – 25 साल पहले घटी एक घटना के बारे में …

 

एक दिन अशोक और राहुल दोनो ने विचार बनाया की साइकिल से भानगढ़ जाया जाए ।

मैं इस प्लान में शामिल नहीं था क्योंकि साइकिल से इतनी दूर जाना मेरी समझ से बाहर था ।

 

निस्चित दिन पर ये दोनों साइकिल से सुबह जल्दी भानगढ़ के लिए निकल गए ।

 

मैं आपको जो ये किस्सा सुना रहा हु ये वो है जो अशोक ने मुझे बताया ।

 

भानगढ़ पहुंच अशोक और राहुल ने पूरा भानगढ़ देखा घुमा उस वक्त किले के चारो तरफ न आज जितनी ऊंची चार दिवारी थी और न कोई इतना मजबूत दरवाज़ा और कोई ख़ास चौकीदार।

 

तब अलवर वालों के लिए भानगढ़ बस एक साधारण सा विरान खंडर नाम मात्र था । जिसके बारे में पुराने लोग बाते करते थे ।

 

शाम होने से पहले अशोक और राहुल दोनों ने वापस अलवर अपने घर आने का विचार बनाया और भानगढ़ के किले से बाहर की तरफ आने लगे, की तभी राहुल की नजर एक पत्थर की मुंडी ( गर्दन से ऊपर का पूरा हिस्सा ) जो की किसी बच्चे की टूटी मूर्ति का सर सा लग रहा था उसपर नजर गई ।

राहुल ने अशोक को बोला और दोनो ने एक नजर उस मुंडी पर डाली जो देखने पर ऐसी लग रही थी जैसे वो इन दोनों को देख के मुस्कुरा रही हो ।

अब राहुल का मन डोल गया और उसने वो मुंडी उठा ली और अशोक को दे दी । ये बोल कर की इसको अपन अपने घर ले चलते है ।

अशोक भी राजी हो गया और उसको अपने बैग में रख दोनों साइकिल चलाते हुए अलवर यानी अपने घर आ गए ।

साइकिल से 80 km जाना और फिर वापस 80km आना एक लम्बा और थका देने वाला सफर था ।

अलवर आते आते रात हो चुकी थी दोनो अपने अपने घर चले गए । बच्चे की पत्थर वाली मुंडी अशोक के बैग में थी तो वो भी अशोक के साथ उसके घर चली गई ।

घर पहुंचते हुए काफी देर हो चुकी थी तो अशोक जो हमारे मित्र थे खाना खा आराम से सो गए ।

अब रात भर अशोक को न तो ठीक से नींद आई और जब आती तब ही डरावने सपने से आंख खुल आती । ये शिलशिला पूरी रात चलता रहा।

दूसरा दिन ….

अगली सुबह अशोक ने सोचा की शायद पूरे दिन साइकिल चलाने से थकान हुई होगी और भानगढ़ की डरावनी कहानी दिमाग में थी इसलिए रात को ठीक से नींद नहीं आई और डरावने सपने आते रहे ।

अशोक आराम से तैयार हो कॉलेज आ गया और हम तीनों ने उस दिन आराम से कॉलेज में अपना दिन गुजारा ।

 

हां पर ये दोनो ही यानी अशोक और राहुल दोनों ही रो रहे थे की रात में ठीक से नींद नहीं आई और डरवाने सपने आते रहे ।

 

मैने भी उनको यही बोला की शायद साइकिल की थकान के कारण ऐसा हुआ हो । तब तक मुझे ये मुंडी वाली बात भी नही मालूम थी ।

 

कॉलेज खत्म हुआ और हम लोग अपने अपने घर आ गए ।

 

अशोक के घर वालो ने एक गाय पाल रखी थीं गाय पेट से थी उसके बच्चा होने वाला था । शाम तक घर वालों ने गाय का बच्चा पैदा होने की पूरी तैयारी कर ली थी सब कुछ सामान्य था घर में खुसी का माहौल था ।

रात होते होते गाय दर्द से कहराने लगी जानवरों का डॉक्टर घर आ गया था पूरे घर वाले बच्चे के होने का इंतजार करने लगें घर में खुसी का माहोल था ।

 

लेकिन होना वही था जो लिखा था गाय ने एक मरी हुई बछड़ी को जन्म दिया । दुख तो था ही क्योंकि एक तो वो बछड़ी थी दूसरा वो मर भी गया ।

 

गाय का सब काम खत्म कर । घर परिवार के लोग सो गए । लेकिन उस रात भी वही अशोक को पूरी रात ठीक से नींद नहीं आई । वही रात भर डरावने सपने और नींद का बार बार टूटना चलता रहा ।

 

तीसरा दिन ….

 

अगली सुबह अशोक और हम कॉलेज में मिले अशोक ने अपने गाय वाली बात बताई और सपने वाली बात ।

राहुल उस दिन कॉलेज नही आया था जो हमारे लिए कोई अजीब बात नही थी । मैने भी अशोक की बातों पर ज्यादा ध्यान दिया नही ।

कॉलेज खत्म हुआ और हम अपने अपने घर आ गए ।

 

चौथा दिन…

 

रोज़ के जैसे मैं और अशोक कॉलेज में मिले । राहुल आज भी कॉलेज नही आया था अशोक ने फिर वही बात बताई की आज रात भी डरावने सपने आए और ठीक से नींद नहीं आई ।

 

लेकिन अब अशोक ने मुझे वो बच्चे की पत्थर वाली मुंडी वाली बात बताई की वो और राहुल भानगढ़ से ये पत्थर पर बने बच्चे की चहरे वाली मुंडी अपने साथ ले आए थे ।

 

मैने जब उसकी बात सुनी तो मुझे हसीं तो आई पर मौके का फायदा उठाते हुए मैने अशोक को और डराना शुरू कर दिया ।

 

अब तक की जितनी भी मैने भूतिया मूवी देखी थी सब की खिचड़ी पका भानगढ़ से जोड़ उस पत्थर की मुंडी को जादू टोने वाली बता अशोक की हालत खराब कर दी ।

 

मेरी स्टोरी को दम मिल रहा था इनको आने वाले डरावने सपनों और गाय के मरे हुए बछड़े से ।

 

खैर थोड़ी देर अशोक को अच्छे से डरा मैने बोला चल राहुल के घर चलते है वो कुछ दिन से कॉलेज नही आ रहा ।

 

कॉलेज के बाद मैं और अशोक अपनी साइकिल से राहुल के घर चल दिए । थोड़ी देर में ही हम राहुल के घर के सामने थे । घर पर सन्नाटा था पर काफी लोग घर में आते जाते दिख रहे थे ।

 

अभी हम सब नए नए बने दोस्त थे घर परिवार वालो से कोई जान पहचान नहीं थी तो बस शरमाते घबराते हुए घर के बाहर से ही पूछ लिया… राहुल है क्या ?

जवाब आया वो नही है ।

जवाब देने वाले के बोलने और चहरे के आव भाव से हम समझ गए कुछ बड़ी गड़बड़ है ।

हमने फिर बोला हम उसके कॉलेज के दोस्त है राहुल कॉलेज क्यों नही आया ।

तो जवाब आया की कल राहुल का रोड ऐक्सिडेंट हो गया । जिसमे उसकी मौत हो गई ।

बस इतना सुनना था की हम थोड़ी देर के लिए कुछ समझ ही नहीं पाए की हमे क्या करना है चाहिए ।

 

थोड़ी देर राहुल के घर के बाहर ही खड़े होने के बाद हम न तो उसके घर के अंदर गए न किसी और से कुछ पूछा बस चुपचाप अपनी साइकिल ले वापस चल दिए ।

 

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कॉलेज में मेरा किया मजाक शायद सच हो रहा हो।

अशोक के तो मूंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी ।

थोड़ी दूर आने के बार हमारे रास्ते अलग अलग हो रहे थे मैने अशोक को सिर्फ इतना बोला वो मुंडी घर से बाहर निकाल देना ।

अब अशोक अपने घर और मैं अपने घर ।

पांचवा दिन…

आज मैं कॉलेज नही गया और न अशोक से मिलना हुआ ।

छठा दिन…

मैने आज फिर कॉलेज से छूटी कर ली । लेकिन शाम को मेरे घर अशोक आ गया और मुझे अपने साथ पार्क में ले गया क्योंकि अब ये सब बाते किसी के सामनें करना खतरे से खाली नहीं था ।

पार्क में आ अशोक ने जो मुझे बताया उस पर मुझे आज तक यकीन नहीं है ।

अशोक ने बताया की उस दिन राहुल के घर से आने के बाद उसने वो बच्चे की चहरे वाली मुंडी को घर से बाहर एक पीपल के पेड़ के नीचे रख आया था और उस रात उसको अच्छी नींद आई न कोई डरवाना सपना आया और कोई घबराहट ।

लेकिन जब वो सुबह उठा तो उसने देखा वो मुंडी उसके घर में वही रखी थी जहां से अशोक ने उसको उठा के पीपल के पेड़ के नीचे रखी थी ।

उसके बाद अशोक ने घर पर सब से पूछा की कौन इस चहरे वाले पत्थर को घर के अंदर पीपल के पेड़ के नीचे से उठा कर लाया है पर सब ने एक ही जवाब दिया हम नही लाए और साथ में ये सवाल की तुझे ये कहा मिली ।

अब घर वालों से कुछ छुपा पाना मुश्किल था तो अशोक ने पूरी बात अपने घर वालों को बता दी ।

जिसपर उसको खूब डांट पड़ी उसके बाद अशोक के पापा उसको अपने साथ वापस भानगढ़ ले गए । जहां उन्होंने उस मुंडी को वापस उसी जगह रख दी ।

 

अब अशोक ने जो मुझे बताया वो बात मुझे और ज्यादा हैरान कर देने वाली थी ।

 

अशोक ने बताया की जब उसने और राहुल ने वो पत्थर के चहरे को उठाया था तब उसके चहरे के भाव मुस्कुराते हुए से थे पर जब वो और उसके पापा उस मुंडी को वापस रख रहे थे तब चहरे के भाव गुस्सा वाले लग रहे थे ।

 

हालाकि मैने वो मुंडी कभी नही देखी ।

 

लेकिन अब आप लोगों का क्या बोलना है और मानना है की भूतिया जगह और उनसे संबंध रखने वाले समान का कोई असर होता है ???

The LaalTen
Author: The LaalTen

Leave a Comment

विज्ञापन

Read More

पंचांग

वोटिंग

1
Default choosing

Did you like our plugin?

Read More