बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर में हाल ही में “एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) परीक्षण पर व्यावहारिक प्रशिक्षण” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को आंध्र प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा प्रायोजित किया गया और इसे आईवीआरआई के जीवाणु विज्ञान और माइकोलॉजी विभाग तथा संयुक्त निदेशालय प्रसार शिक्षा द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया गया।
यह सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों के लिए एएमआर परीक्षण में दक्षता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। कार्यक्रम का उद्देश्य एएमआर रोगजनकों का प्रभावी तरीके से पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों को उन्नत परीक्षण तकनीकों से अवगत कराना था, ताकि यह समस्या पशु स्वास्थ्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सके।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि एएमआर निदान के क्षेत्र में सुधार के लिए इस तरह के प्रशिक्षण बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान और तकनीकों को अपने राज्य के नैदानिक केंद्रों में लागू करें। इसके साथ ही, उन्होंने संस्थान और फील्ड डायग्नोस्टिक केंद्रों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) डॉ. रूपसी तिवारी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए संकाय और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया और एएमआर के खिलाफ लड़ाई में इस प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
प्रशिक्षण में 12 प्रैक्टिकल सत्र शामिल थे, जो पारंपरिक और उन्नत एएमआर पहचान तकनीकों पर आधारित थे। इस दौरान, आंध्र प्रदेश के 3 सहायक निदेशकों और 9 पशु चिकित्सा सहायक सर्जनों सहित कुल 12 पशु चिकित्सा पेशेवरों ने भाग लिया।
आईवीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक और डॉ. पी. थॉमस ने बताया कि इस प्रशिक्षण में 15 थ्योरी सत्र और एएमआर पहचान तकनीकों पर आधारित 12 व्यावहारिक सत्र शामिल थे। इस आयोजन में डॉ. सोनू एस. नायर, डॉ. अथिरा वी, और श्री वीर सिंह सहित बी एंड एम प्रभाग और संयुक्त विस्तार शिक्षा निदेशालय के अधिकारी भी उपस्थित थे।